This sub-section looks at Water Sector Reforms which are mainly going on at the state level, as water is a state subject. This section focuses on reforms related to commercialisation, marketisation and privatisation in the water sector. For other developments in policy and law please also refer to the page on Water Policy and Law.
इस खण्ड में जल क्षेत्र में बदलावों से संबंधित बदलावों जैसे कानूनों और नीतियों में बदलाव और नए कानूनी प्रावधानों तथा इनके बारे में गतिविधियों जैसे मीटिंग, कार्यशालाओं आदि की चर्चा है। यहाँ मुख्यतः उन बदलावों पर ध्यान दिया गया है जो पानी के निजीकरण और बाजारीकरण से संबधित हैं | अन्य नीतिगत तथा क़ानूनी बदलावों के विश्लेषण के लिए Water Policy and Law देखें | प्रमुख गतिविधियॉं निम्न हैं –
Reports and Articles in this Theme
‘‘जल का अधिकार कानून’’ पर विशेषज्ञों का मंथन
मध्यप्रदेश सरकार ने देश में पहली बार जल का अधिकार कानून बनाने की घोषणा की है | इस प्रस्तावित कानून से प्रदेश के नागरिकों की अपेक्षाओं पर चर्चा करने हेतु मंथन अध्ययन केन्द्र और जिंदगी बचाओ अभियान द्वारा 21 जुलाई 2019 को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में जन परामर्श (पब्लिक कंसलटेशन) आयोजित किया गया |
परामर्श के दौरान हुई विस्तृत चर्चा के बारे में अधिक जानने के लिये यहाँ पढ़ें |
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जल संवाद श्रंखला
मंथन अध्ययन केन्द्र द्वारा प्रदेश में जल क्षेत्र सुधार गतिविधियिों का अध्ययन किया जा रहा है। इसी के तहत पिछले वर्ष होशंगाबाद, पिपरिया और इटारसी की जलप्रदाय योजनाओं का अध्ययन किया गया है। ये सारी योजनाऍं केन्द्र सरकार अनुदानित यूआईडीएसएसएमटी के तहत स्वीकृत है। इन सभी नगरों की जलप्रदाय व्यवस्थाऍं भूजल आधारित है। मंथन द्वारा अध्ययन और इन अध्ययनों के निष्कर्षों को स्थानीय समुदाय के साथ साझा किए जाने की प्रक्रिया के तहत इन नगरों में कार्याशालाऍं आयोजित की गई हैं।
इन शहरों की अध्ययन रिपोर्टों और यहॉं आयोजित कार्यशालाओं के बारे में अधिक जानने के लिए कृपया यहॉं क्लिक करें।
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मध्यप्रदेश जल विनियमन विधेयक
मध्यप्रदेश विधानसभा द्वारा 10 जुलाई 2013 मध्यप्रदेश जल विनियमन विधेयक पारित कर दिया। विधेयक का उद्देश्य राज्य में जल-संसाधनों के न्याय संगत, स्थिर प्रबंधन और उनके अधिकतम उपयोग तथा घरेलू, कृषि और औद्योगिक प्रयोजनों के लिये उपयोग में लाये जाने वाले जल हेतु जल विनियामक प्राधिकरण का गठन करना है। जब इस विधेयक को विधानसभा में पास करवाया गया तब न तो सदन में विपक्ष को कोई सदस्य मौजूद था और न ही इस महत्वपूर्ण विधेयक पर कोई चर्चा की गई है।
इस अधिनियम और इससे संबंधित गतिविधियों के बारे में अधिक जानकारी हेतु कृपया यहॉं क्लिक करें।
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राष्ट्रीय जल नीति 2012
वर्ष 2012 की शुरुआत में भारत सरकार ने राष्ट्रीय जलनीति का खाका वेबसाईट पर पेश कर उस पर जनता से प्रतिक्रिया जाननी चाही थी। इस नीति पर देश में काफी बहस हुई और इसके संभावित परिणामों के संबंध में गंभीर चिंताए व्यक्त की गई थी। इस जल नीति के प्रारुप में पानी के निजीकरण की नीति को विस्तार देते हुए ’सार्वजनिक निजी भागीदारी’ या पीपीपी के जुमले का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही जल क्षेत्र में सुधार (निजीकरण) को प्रोत्साहन और सहायता प्रदान किया जाना शामिल किया गया है।
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खण्डवा में पेयजल का निजीकरण स्वतंत्र समिति की रिपोर्ट (2013)
खण्डवा में पेयजल के निजीकरण हेतु विश्वा इंफ्रास्ट्रक्चर्स एण्ड सर्विसेस प्रायवेट लिमिटेड के साथ कंशेसन अनुबंध किया है। इसके तहत 3 दिसंबर 2012 को नगर निगम द्वारा वाटर मीटरिंग और नल संयोजन नियमितीकरण नियम की अधिसूचना के प्रारुप का प्रकाशन कर नागरिकों से सुझाव मॉंगें।
इस पर स्थानीय जनाक्रोश के बाद राज्य शासन को तत्कालीनजिला पंचायत सीईओ श्री तरुण कुमार पिथोड़े की अध्यक्षता में विशेषज्ञों और राजनैतिक कार्यकर्ताओं की एक स्वतंत्र समिति का गठन करना पड़ा। 1 जून 2013 को स्वतंत्र समिति ने अपनी रिपोर्ट जारी की।
रिपोर्ट के बारे में अधिक जानकारी हेतु कृपया यहॉं क्लिक करें।
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जल क्षेत्र में सुधार की नीतियों पर कार्यशाला खण्डवा : 5 अगस्त 2012
जल क्षेत्र में सुधार की नीतियों पर ‘नर्मदा जल संघर्ष समिति’ एवं ‘मंथन अध्ययन केन्द्र’ द्वारा 5 अगस्त 2012 को खण्डवा में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें शहर में पानी के निजीकरण के खिलाफ संघर्षरत् ‘नर्मदा जल संघर्ष समिति’ के सदस्यों अलावा समुदाय के प्रतिनिधि शामिल हुए। कार्यशाला का उद्देश्य समुदाय में पानी के निजीकरण के प्रति समझ पैदा करना था ताकि समुदाय इसके खिलाफ व्यापक रणनीति बना सके। कार्यशाला की विस्तृत रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहॉं क्लिक करें.
प्रकाशित, ५ अगस्त २०१५.
रपट डाउनलोड करने के लिए यहॉं क्लिक करें।
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Workshop on Water Sector Policy Reforms, Khandawa: 5 August 2012
On 5th August 2012, a workshop on water sector policy reforms was organised by ‘Manthan Adhyayan Kendra’ and ‘Narmada Jal Sangharsh Samiti’, committee formed by the people of Khandwa to campaign against water privatisation. Experts working on water sector in various parts of the country were invited for the talks. People from several communities across the town participated in the workshop, including the members of Narmada Jal Sangharsh Samiti. The main idea behind the workshop was to create broader understanding among the local people regarding privatisation in water sector so as to help them in developing a larger campaign against such measures. To read the report of this workshop in Hindi and English please click here.
Report, published 5 August 2012.
Download the English report from here
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Uttar Pradesh Water Management and Regulatory Commission Act, 2008
The Uttar Pradesh Water Management and Regulatory Commission Act was passed by the UP State assembly on August 28, 2008 pushed by the World Bank funded Uttar Pradesh Water Sector Restructuring Project “to provide the establishment of the Uttar Pradesh Water Management and Regulatory Commission to regulate water resources within the State, facilitate and ensure judicious, equitable and sustainable management, allocation and optimal utilization of water resources for environmentally, economically sustainable development of the State, fix the rates for water use for agriculture, industrial, drinking, power and other purposes and cess on lands benefited by flood protection and drainage works from the owners of lands benefited through appropriate regulatory instruments according to State Water Policy and matters connected therewith or incidental thereto”.
Read the full Act here.
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मध्यप्रदेश की जल नीति 2003
मध्यप्रदेश की जल नीति डाउनलोड करने के लिए यहॉं क्लिक करें।
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छत्तीसगढ़ विधानसभा की लोक लेखा समिति की रपट
छत्तीसगढ़ की शिवनाथ नदी के कुछ हिस्से के निजीकरण हेतु रेडियस वाटर लिमिटेड के साथ हुए अनुबंध के खिलाफ हुई नागरिक प्रतिक्रिया के बाद जनवरी 2003 में छत्तीसगढ़ विधानसभा की लोक लेखा समिति ने इस प्रकरण की जॉंच की। श्री रामचंद्रसिंह देव की अध्यक्षता वाली समिति की पुरीं रिपोर्ट 3 हिस्सों में यहॉं से डाउनलोड की जा सकती है –
लेखा समिति की रपट के संलग्नक-1
लोक लेखा समिति की रपट के संलग्नक-2
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